( 1 )” श्री “,श्री गीता है एक महाकाव्य
आओ, इसका हम नित पारायण करें !
सदैव उतारते चलें इसे अपने जीवन में…,
और इसका पालन-आचरण करते चलें !!
( 2 )” गीता “,गीता है विशुद्ध भगवान वाणी
आओ, इसका हम नित्य श्रवण करें !
और करें मन वचन कर्मों से अनुपालना ..,
सदैव इसका यहाँ पे चिंतन मनन करें !!
( 3 )” है “,है गीता सभी जीवन प्रश्नों का हल
और करती चले समस्याओं का समाधान !
आओ, इसे पढ़ें, पढ़ाएं, जीवन में उतारें…,
और चलें पाएं श्रीहरि प्रसाद एवं वरदान !!
( 4 )’ एक ‘,एक सहारा श्रीमद्भगवद्गीता हमारा
जो चले सदा निभाए जीवन में साथ !
ये चले खोलते जीवन के सभी बंद द्वारों को,
और श्रीहरि का बनाए रखे हमपे वरदहाथ!!
( 5 )” महा “,महाभाग है ये हम सभी का यहाँ पे
कि, मिला श्रीगीताजी जैसा हमें महानग्रंथ !
आओ नित्य करें इसका अनुकरण पालन .,
और चलें बनाए जीवन का प्रसन्न एवं शांत !!
( 6 )’ काव्य ‘काव्य लिखा है ये संस्कृत भाषा में
और हैं इसमें कुल ‘अट्ठारह अध्याय’ !
आओ, पढ़ें नित्य तीन श्लोक यहाँ पे…..,
और सात सौ श्लोकों को समझ,बदलें भाग्य !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान