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जन्मदिन – सुधीर श्रीवास्तव

अब यह बताने का तो कोई मतलब नहीं है

कि आज एक जुलाई को मेरा जन्मदिन है,

आप सभी की बधाइयां शुभकामनाओं का

मुझे इंतज़ार तो है, पर अनिवार्य नहीं है।

पर एक बात मुझे आज तक नहीं समझ आया

जन्मदिन मनाने का ये सिलसिला

आखिर कब और कहाँ से आया।

मुझे तो पता नहीं, जिसे पता हो

इस शर्त के साथ ईमानदारी से बता दे,

मेरी अज्ञानता को जो मुफ्त में प्रचार न दे।

वैसे भी जन्म दिन मनाने का मतलब

अब तक नहीं समझ आया मुझे,

जीवन अस्त होने की दिशा में जब आगे बढ़ रहा है

और इधर दीर्घायु जीवन की शुभकामनाओं का

औपचारिक, अनौपचारिक दौर चल रहा है।

पर मेरी आप सबसे गुजारिश है

चाहे आप कहिए मेरी सिफारिश है,

बधाइयां शुभकामनाएं दीर्घायु जीवन की

कामना कीजिए या न कीजिए,

स्नेह आशीर्वाद दीजिए या वो भी न दीजिए।

यदि आप मेरे शुभचिंतक हैं तो

ईमान, धर्म से इतना भर कीजिए,

केवल इतनी सी दुआ कीजिए

कि मेरा शेष जीवन ईमानदारी से

मानवीय मूल्यों का पालन करते हुए

परिवार, समाज, राष्ट्र की सेवा में बीते,

मेरे किसी कृत्य से किसी का भी दिल कभी न दु:खे

निर्बल, गरीब, असहायों के किसी काम आ सकूँ

मानवता की बलि बेदी पर ये जान दे सकूँ।

चार दिन की जिंदगी में ईर्ष्या, द्वेष, निंदा, नफ़रत

जनबल, धनबल, बाहुबल या खुद को श्रेष्ठ, सर्वश्रेष्ठ

दिखाने, बताने का आखिर मतलब क्या है?

कुछ भी तो नहीं, ये आप सब भी जानते हैं,

पर कितना करते या मानते हैं

खुद ही सबसे बेहतर जानते हैं।

इसीलिए फ़िर से हाथ जोड़कर कहता हूँ,

कि यदि आप मेरे शुभचिंतक हैं तो

मेरा अनुनय विनय स्वीकार कीजिए,

जन्मदिन पर बस मुझे छोटा सा उपहार दीजिए,

केक, मिठाई, उपहार की चाहत नहीं मुझे

कर सकूँ जीवन में ऐसा कुछ मैं

कि जन्मदिन नहीं जीवन मेरा यादगार बने,

मेरे जन्मदिन पर मुझे आप सब यही सौगात दीजिए।

केवल आज ही नहीं हर दिन आप सब

बस इतना सा आशीष देते रहिए,

आइए! आज मेरे इस जन्मदिन पर सब मिलकर

इक नई रीति का श्रीगणेश करिए।

– सुधीर श्रीवास्त व, गोण्डा, उत्तर प्रदेश

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