मनोरंजन

ग़ज़ल – गीता गुलाटी

मिले प्यार तेरा हमे भी शफा दो,

जिये यार कैसे तुम्ही कुछ बता दो।

 

लिखी जो गजल है सभी को सुना दो,

छुपा प्यार उसमे सभी को जता दो।

 

चलो गीत अपना हमें तुम सुना दो,

पुरानी सी धुन कोई फिर गुनगुना दो।

 

खता आज मेरी करो माफ अब तुम,

मुहब्बत को मेरी सभी को सुना दो।

 

भली या बुरी हूँ तुम्हे चाहती हूँ,

लुटा प्यार मुझ पर,मुझे अब हँसा दो।

 

शमा बुझ रही अब हवा जो चली थी,

बुझे इन चरागों को अब तो जला दो।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

मैं मजदूर हूँ, तुम मजदूर हो – हरी राम

newsadmin

सोमनाथ शुक्ल को हिंदी सेवी सम्मान प्रदान किया

newsadmin

सम्मान के साये (कहानी) – विनोद भगत ‘आंगिरस’

newsadmin

Leave a Comment