यार उल्फत भी देती मजा जिंदगी,
वक्त से कुछ हँसी पल चुरा जिंदगी।
आज जीना बहुत यार मँहगा हुआ,
यार कैसे जिये खुशनुमा जिंदगी।
आज छाने लगा यार तेरा नशा,
इश्क डूबा लगे अब हवा जिंदगी।
चुप का तमगा लिये आज वो है खड़ा,
बात बोले नही अब दुआ जिंदगी।
प्यार तेरा हमे अब सताने लगा,
इश्क तो वेवफा इंतहा जिंदगी।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़