मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

आँसुओं में वो जो डूबा खुद रवानी लिख गया,

जिंदगी का दर्द मुझको अब सिखानी लिख गया।

 

जिंदगी ऐसी बनी दिल से वो रानी लिख गया,

प्यार मे डूबी मैं इतना अब जवानी लिख गया।

 

यार की दरियादिली ने आज पागल कर दिया,

हो गयी फिर आज उसकी वो दिवानी लिख गया।

 

खुशनसीबी है हमारी यार हमको तुम मिले,

साथ तेरे फिर रहेगे,जग कहानी लिख गया।

 

दर्द उसका जो मिला वो अश्क आँखों से बहे,

भूल बैठा गम वो सारे सावधानी लिख गया।

 

सीखता वो जो है खाता ठोकरें संसार की,

जिंदगी में वो घुटा फिर,वो जुबानी लिख गया।

= रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

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