सौ प्रतिशत मैं हूँ तुम्हारी
कोई और भी है इस मन में,
जिस ने दी है यह साँसे मुझको
वह भी शामिल इस धड़कन में|
बेशक मेरा प्यार हो तुम
पर उनकी तस्वीर बसती नयन में,
तेरे बिन ना रह पाऊँ एक पल भी
गुजरा बचपन उनकी आंचल में|
बाबुल के आँगन में पली-बढ़ी
तेरे आँगन की तुलसी मैं,
मेरा आने वाला हर पल तू
उनका गुजरा हुआ कल मैं|
कितने हिस्से किये इस दिल के
माता-पिता भाई-बहन बच्चे,
सौंपा पिता ने जब मुझे तुझको
जान बन गए तुम इस दिल के|
सौ प्रतिशत हूँ तुम्हारी
पर कोई और भी है इस मन में,
जिसने दिए सांसे मुझको
वह भी शामिल धड़कन में|
– सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर