मनोरंजन

हम जीतेंगे – भूपेन्द्र राघव

हम  जीतेंगे,  हम  जीतेंगे, यह  छद्म  लड़ाई  जीतेंगे,

कुछ अस्त्र-शस्त्र अपनाने हैं, हम निश्चित भाई जीतेंगे।

चित  अपना  अपना शान्त  करें,

मन को न ज़रा भी क्लान्त  करें।

प्रशासन     का     सहयोग  करें,

अरि-चक्र  कटे   हम  योग   करें।

अपने   अपने   घर   में   रहकर,

अफवाहों   में  ना  अब  बहकर।

कुछ  भी  नहीं  ऐसा काम  करें,,

जीवन  का  काम   तमाम   करें।

हों स्वयं  सुरक्षित युक्ति  मात्र, है  यही  दवाई, जीतेंगे

हम  जीतेंगे ….. ……. ……  …… ……. ……

यह   छद्म   युद्ध  का  ज्ञाता  है,

हमको    हमसे     लड़वाता  है।

बाली   सा   सम्मुख   आता  है,

बल  उतना   ही  बढ़  जाता  है।

छुपकर  ही   इस पर  वार  करें,

रणनीति   आज    तैयार   करें।

जो बने  चिकित्सक  सेनापति,

प्रति  उनके  हम  आभार  करें।

छुपकर ही बाली  मर सकता, फिर से रघुराई, जीतेंगे

हम  जीतेंगे ….. ……. ……  …… ……. ……

गलियों में फिर  कलरव  होगा,

है  थमा हुआ  वह  सब  होगा।

गिरिजाघर    में    देवालय  में,

घन्टी   की  धुन  विद्यालय  में।

दफ्तर,  सड़कों,  बाजारों   में,

खुश-ख़बरी  सब अखबारों में।

जीवन    पटरी    पर   लौटेगा,

नव  सूर्य   पुनः   दस्तक  देगा।

मिटने वाली  दुख  द्वंदों  की, काली परछाईं, जीतेंगे

हम  जीतेंगे ….. ……. ……  …… ……. ……

हर  विषम काल  ही  हारा  है,

देखो    इतिहास    हमारा   है।

सहयोग  परस्पर  हो   रण  में,

न  चूक   रहे    प्रतिरक्षण   में।

फैलाव   न   हो   प्रतिज्ञ  बनें,

न समझ  बूझ  अनभिज्ञ बनें।

हम विज्ञ  बनें जग के हित में,

परहित घोलें निज शोणित में।

अगला  पल आने  वाला है, होकर सुखदाई, जीतेंगे

हम  जीतेंगे ….. ……. ……  …… ……. ……

– भूपेन्द्र राघव, खुर्जा , उत्तर प्रदेश

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