क्या असली है
और कौन है सच्चा
ये समझना आसान नहीं !
किसने कितने लगाएं हैं मुखौटे…..,
ये सच जानना मुमकिन नहीं !!1!!
पग-पग पे
दिखे है झूठ मक्कारी
और रहते हम कपटी दुनिया में !
भूलकर यहां सभी रिश्ते दुनियादारी…..,
आज इंसान उलझे हैं अपनी स्वार्थलिप्सा में !!2!!
चले जीवन सफर
झूठ सच की राहों पे
खाते हिचकोले लिए नए कटु अनुभव !
और देखता चलता यहां पे……,
जीवन रंगमंच पे असली नकली का नाटक !!3!!
मुश्किल है बड़ा
यहां पे रहते जीवन जीना
और लोगों की चाल चरित्र को समझना !
बस जीएं चलें, उलझें नहीं……,
सदा कठिन परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखना !!4!!
जानें असली नकली
समझें इस जीवन खेल को
और जीवन सच को पहचानते चलें !
भटकाव से शीघ्र निकल आएं बाहर……,
और सत्य को सदैव स्वीकार करते चलें !!5!!
–सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान