मनोरंजन

दिल को चुराया नहीं होता – अनिरुद्ध कुमार

मुहब्बत में अपना पराया नहीं होता,

खुदा की रहमत आजमाया नहीं होता।

 

तरीका जीने का  जताता कहाँ कोई,

चले अपने से यह बताया नहीं होता।

 

मिलन की चाहत बेकरारी सदा रहती,

तड़पते ख्यालों में नुमाया नहीं होता।

 

जरूरत दुनिया को परेशान हर कोई,

तलब ये ऐसी है बकाया नहीं होता।

 

जुदाई में तड़पन लगे प्यार हीं जीवन,

नशीबा का रोना अदाया नहीं होता।

 

निगाहें नम रहती उदासी हमेशा की,

हजारों पहरा वक्त जाया नहीं होता।

 

सलीका जीने का यहीं मुकद्दर है’अनि’,

युहीं कोई दिल को चुराया नहीं होता।

– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड

Related posts

कविता – अशोक कुमार यादव

newsadmin

कविता – अशोक कुमार यादव

newsadmin

पत्रकारिता के शलाका पुरुष काशीनाथ चतुर्वेदी – राकेश अचल

newsadmin

Leave a Comment