(1)” माँ “, माँ शारदे
भगवती वाग्देवी सरस्वती
करते हैं नमन वंदन स्तुति !
आपसे मिलती हमको शक्ति….,
करें नित बारम्बार आपकी भक्ति !!
(2)” स “, सरस विरल
हे ज्ञानदेवी सविता
सदैव बनाए रखना हमपे कृपा !
आपसे मिलती हमें नवचेतना….,
बरसाते रहना हमपे प्रेम दया करुणा !!
(3)” र “, रहती हो
आप ह्रदय में
बसती मन मस्तिष्क विचारों में !
आपसे पाकर नव ऊर्जा प्रेरणा…..,
बढ़ते रहें सतत आगे जीवन पथ में !!
(4)” स् “, स्वर राग
लय ताल संगीत
सभी कुछ आपसे हर्षाते आएं !
आप ही हो हरेक रचना के मूल में…..,
बिन आपके कुछ सृजन नहीं हो पाएं !!
(5)” व “, वरदे माँ
वीणादायिनी हमें
कि,सदैव वरदहस्त ये बना रहे !
और मिलती रहे सदविचारों की प्रेरणा…..,
नित जीवन में उन्नति पथ पे बढ़ते रहें !!
(6)” ती “, तीक्ष्ण बुद्धि
विवेक बनाए रखना
माँ वागीश्वरी कृपा दया बरसाना !
विद्या वाणी की अधिष्ठात्री देवी…,
सदा ज्ञान उजियारे से झोली भरते चलना !!
(7)” माँ सरस्वती “, आप ही हो आदि परम शक्ति
आपकी आराधना से हमारे ज्ञानचक्षु खुलें !
करें श्रीब्रह्मा, विष्णु, महेश आपकी स्तुति…,
श्वेतकमल पे विराजे शुभ्र दिव्य रुप खिले !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान