तुम्हें मुझसे मुहब्बत है ये बातें सिर्फ़ मुझ तक है,
मुझे तुमसे मुहब्बत है ये बात उफ़क फ़ानी है।
तुम कहते हो तन्हा कहीं मिलो मुझसे,
मैं कहती हूं मैं चाहकर भी तन्हा हो नहीं सकती।
तेरे होने की महक मेरी सांसों में शामिल है,
मैं जुबां और रूह से मुख़्तलिफ़ हो नहीं सकती।
ये मन की गांठें हैं जानां कभी उलझे कभी सुलझे
गिले-शिकवे हों जिससे वो एक ही शख्स जमाने में,
न वादें हैं, न बातें हैं ,न कोई शर्त दरम्यान
इश्क़ शाय़द एक खामोशी सुनने का सलीका है।
मिलने और बिछड़ने की बातें अब पुरानी हैं,
तेरे किस्से में एक नई कहानी सी छूट जाती हूं।
तुम महज़ एक ख्याल की तिश्नगी हो,
वगरना जिंदगी रवायतों की ताब लाती है।
सलाहियत कुछ बातों की जुबां से लौट जाना है,
तेरे पैगाम को अक्सर नजर अंदाज करती हूं।
दुनिया का काम ही अफसाने बनाना है,
मेरा रहबर , मेरा हमदर्द, मेरी आंखों का पानी है।
– ज्योत्सना जोशी , देहरादून , उत्तराखंड