मनोरंजन

हर्षित तितलियाँ – रश्मि मृदुलिका

साथ जरूरी है,,,,,

घनवल्ली से तेरे नयनों से,

कांप रही है अब तक मेरी पलकें,

बदरा सी टूट गई मैं,

बनकर जल पूंज नैना बरसें,

प्रात: किरणें माथा चुम कर,

कांधे अपने मेरा सिर रखकर,

ढाढस देती बातें तेरी आँखों से,

होले से गुजरी ज्यों आस कानों से,

स्मृति अनुराग की खोकर तुझसे,

पूनम का चंद्र बनकर मिली मुझसे,

धड़कनों में गीत नयी रीत का

हवाओं में संदेश प्रीत का,

पढ़ रही है तितलियाँ हर्षित होकर,

आखर मेरे लिए मन मीत का,

– रश्मि मृदुलिका, देहरादून , उत्तराखंड

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