आओ
मिलकर हम दौड़ लगाएं
रोग दोष सभी तन-मन के मिटाएं !
अलभोर में उठके करलें मस्ती…..,
आओ, चलें मित्रों संग मौज मनाएं !!1!!
जागो
आया दिनकर है जगाने
जीवन में खुशियाँ आनंद बरसाने !
चलो दौड़ पड़ें और आलस्य भगाएं…,
आओ, बन गगन पंछी गीत सुनाएं!!2!!
गाएं
खुशियों के गीत तराने
भरें धरा पे हो उन्मुक्त कुलांचे !
चलें जीवंत जीवन की संभावनाएं तलाशें….,
आओ, फिर से बन जाएं हम तुम बच्चे !!3!!
पाएं
ढेरों छोटी-छोटी खुशियाँ
चलें उन्हें अपनों बीच यहाँ बाँटते !
फिर से महकालें तन मन जीवन बगिया…,
आओ, चलें हरेक पल हँसते मुस्कुराते !!4!!
छाई
चहुँओर है बेला सुंदर
खिल-खिल आएं हैं शुभानन सभी के !
करलें जी भरकर अमृतपान ये मधुर…..,
आओ, चलें जीएं जीवन तत्क्षण में अभी !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान