खुदा की इनायत सदा चाहता हूँ,
जहाँ मुस्कुराये दुआ चाहता हूं।
दिलेरी सबों में नवल जोश लाये,
मुहब्बत भरोसा अदा चाहता हूं।
रहें प्यार से शान से इस धरा पे,
वतन गीत लबसे बयां चाहता हूं।
बहारें यहाँ प्यार से गुनगुनाये,
दखल ना कभी दूसरा चाहता हूं।
निशाना लगाये सही हर नजरिया,
नजारा यहाँ का नया चाहता हूं।
फ़िजा रंग लाये जुड़ाये कलेजा,
मशवरा बुलंदी भरा चाहता हूं।
सदा नेकनामी बड़ाई करे’अनि’,
जुबां हिन्द गाये नशा चाहता हूँ।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड