दूर तुम होना नही,दिल खोखला हो जायेगा,
गर रहे यूँ दूर मुझसे वेवफा हो जायेगा।
ढूँढते हम फिर रहे थे,वो निशानी यार की,
बिन तुम्हारे जी न पाये,दिल खफा हो जायेगा।
छा गये खुशियों के बादल राह वो मेरी तके,
बेरूखी का हाय आलम अब हवा हो जायेगा।
देखकर मौसम सुहाना दिल मेरा गाने लगा,
यार फिर नभ आज तारो से भरा हो जायेगा।
खूबसूरत हो गयी है जिन्दगानी आज फिर,
साथ तेरा जब मिलेगा,दिल हरा हो जायेगा।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़