मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

इबादत हमेशा सही हो फकत,

मिलेगे खुदा बैखुदी हो फकत।

 

हुआ प्यार तुमसे छिपाना नही,

भले यार से दोस्ती हो फकत।

 

शजर आज सोचे मिला क्या मुझे,

मगर वक्त गुजरा खुशी हो फकत।

 

न होना खफा इल्तिजा आपसे,

करूँ यार अब बंदगी हो फकत।

 

रहूँ मैं सफर पर बिना यार के,

न सहना पढ़े कागची हो फकत।

 

छुपाया जमाने का हर रूप भी,

मुहब्बत अगर जिंदगी हो फकत।

 

सहे दर्द सबके नही कुछ कहा,

नसीबों मे शायद कमी हो फकत।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

Related posts

ग़ज़ल – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया नंदोत्सव

newsadmin

मेरी कलम से – डॉ. निशा सिंह

newsadmin

Leave a Comment