चलो हम भी जला ले दीप,प्रभु का धाम आयें हैं,
दिवाली हम मना लेगे मेरे घर श्री राम आयें हैं।
सजा लो आज मन मंदिर करेगे हम इबादत भी,
जरा ठहरो मेरे मोहन, अयोध्या धाम आयें हैं।
अरे कैसे रहे हम भी तेरे प्यारे ख्यालो मे,
तेरे दिल से मुझे पाने का अब पैगाम आयें हैँ।
खुदा चाहे,मिले हम तुम,करेगे प्यार मिलकर हम,
मगर घर से अरे तेरा ये खत गुमनाम आयें हैं।
लगे हो खूबसूरत तुम,नही प्यारा लगे कोई,
दिखा जो आपका चेहरा, वही मन को ही भायें हैं।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़