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मौसम आज सुहाना है – अनिरुद्ध कुमार

टुकड़े टुकड़े बिखर गये,

दिल का यह अफसाना है।

दर्द उठे नित सीने में,

समझें नहीं जमाना है।

 

कजरा गजरा बहक गये,

भूल गये मुसकाना है।

अँगुरी आँखों में छाया,

सावन का नजराना है।

 

फूल कली बूटा बूटा,

झूमें बन मस्ताना है।

चिलमन से नैंना झाँके,

घर आँगन वीराना है।

 

सब सखियाँ मिल झूल रहीं,

गातीं मधुर तराना है।

पायल रुक-रुक के छमकें,

क्या इसको समझाना है।

 

चूड़ी भी रह-रह खनके,

शोर करें मनमाना है।

आँगन में कागा उचरे,

साजन को घर आना है।

 

सुध-बुध हारी मन मारी,

राह नया अंजाना है।

काले बादल बोल रहें,

मौसम आज सुहाना है।

– अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद, झारखंड

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