कान को मेरे सुनाती है गजल,
प्यार दिल को वो लुभाती है गजल।
यार मैने अब पढ़ी तेरी लिखी,
याद तेरी तब दिलाती है गजल।
शहद सी मीठी लगे तेरी बहृर,
वो बड़ा मुझको भी भाती है गजल।
जिंदगी भी खूबरसूरत है लगे,
आ जरा सुन ले सुनाती है गजल।
आज जब मैने पढी तेरी लिखी,
लब सजे जब गुनगुनाती है गजल।
– रीतागुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़