मैं क्या हूं ?
ये पता नहीं !
नहीं खबर मुझे है कुछ…..,
बस रहूँ सोचता यही !!1!!
क्या हूं मैं ?
हूं इससे अनभिज्ञ !
क्या एक परम शुद्धात्मा…..,
या जड़ चेतन कोई सुविज्ञ !!2!!
सदैव खोजूँ मैं
करूँ अपनी पहचान !
स्वयं को स्वयं में ढूंढ़ता……,
करता सतत यहां संधान !!3!!
मन में प्रश्न
उठते हैं हज़ार !
हरेक प्रश्नों में छिपा प्रश्न……,
ढूंढ़ता हूँ उत्तर हरबार !!4!!
जन्म मरण पुनर्जन्म
चक्र चलता अनवरत !
कर्म अकर्म करता विकर्म…..,
चलता चल मिल जाएगा पथ !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान