हे गणपति गौरी पुत्र गणेश,
हम सब करते तेरी वंदना,
हमको देना तुम आशीष,
जय -जय- जय गणेश।
हे शिव नन्दन,
प्रथम पूज्य त्रिलोक में तुम्हीं हो,
देव और मानव द्वारा नित पूजे जाते,
जगत को तिमिर का नाश करो।
रिद्धि – सिद्धि के तुम स्वामी,
देवलोक के तुम नायक हो,
माँ पार्वती के अति लाडले,
हे लंबोदर तुमको शत्- शत् वंदन।
– कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखण्ड