मनोरंजन

कविता – मधु शुक्ला

गंगातट का दृश्य मनोरम,

सात्विक भाव जगाता है।

पंचतत्व से निर्मित काया,

को पावन कर जाता है।

 

गंगाघाट पहुँच कर प्राणी,

जीवन का सच पहचाने।

लोभ मोह का करे विसर्जन,

प्रभु पद की रज पाता है।

 

मुक्ति मार्ग का दर्शन कर के,

नयन सजल हो जाते हैं।

ईश कृपा का बोध प्राप्त कर,

मन पंछी मुस्काता है।

— मधु शुक्ला .

सतना, मध्यप्रदेश

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