बच्चे वयस्क जब हो जायें, मित्र मानिए आप,
फलित तभी होता अपनापन, दूर रहें संताप।।
जब विवेक द्वारा करते हैं, निर्णय अपने लोग,
सार्थकता कर्मों को मिलती, अर्जित हों संयोग।
वजह विफल होने की खोजें, और सुधारें नीति,
उन्नति की चाहत हो जिनको, अपनाते यह नीति।
पाँव पसार रहे भारत में , क्यों विवाह विच्छेद,
रोकें हम इस बीमारी को, व्यक्त करें नित खेद।।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश