मनोरंजन

सिल्कयारा – सुनील गुप्ता

(1)” सि “, सिर्फ़ जिजीविषा और जुनून से ही सदैव

जीती जा सकती है जिंदगी की जंग  !

ये दिखला दिया सभी बहादुर मजदूरों ने..,

कि,लड़ाई थी लंबी पर जज़्बे में था दम !!

(2)” ल् ” लयौ देख उनकी अंदरूनी शक्ति की

सभी दंग और भौचक्के से रह गए   !

कैसे लड़ी होगी ये लंबी जिंदगी की लड़ाई.,

ये सोचकर ही प्राण मुँह की ओर आ गए !!

(3)” क “, करिश्मा कहें या कुदरत का इसे चमत्कार

कि, किसी का भी बाल बाँका न हुआ  !

सभी निकल आए बाहर एकदम स्वस्थ..,

और सभी में आनंद खुशी का संचार हुआ !!

(4)” या “, यामिनी से निकल बाहर आए रोशनी में

तब खिल उठे सभी के चेहरे प्रसन्नता से  !

और बह चली खुशियों की बहार चहुँ ओर..,

सभी मिले परिवारजनों संग गले आनंद से!!

(5)” रा “, राष्ट्रवासियों में दौड़ पड़ी खुशी की लहर

और पूरे राष्ट्र ने ली राहत और चैन की सांस !

सभी परिवारजनों ने मिल मनायी दीपावली,

और तनिक ना आयी प्रभु भरोसे पे आंच !!

(6)” सिल्कयारा “, टनल में चली जीवन मृत्यु की जंग

सत्रह दिन इकतालिस श्रमिकों के संग अनवरत  !

ये थी हौसले और जज्बे की वो अनथक लड़ाई…,

जिसमें जीता साहस और झुक आए आखिर पर्वत !!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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