मनोरंजन

अहसास – ज्योति श्रीवास्तव

नमन दोस्तों, ग़ज़ल पर गौर फरमाइए

जीवन में  मुझे  प्रीत  का जो साथ मिला है

अहसास मुहोब्बत का सनम तब से हुआ है

 

जज़्बात  को  होठों  में  दबा करके रखी हूं

कह  भी  दूं  उसे  कैसे  जहां   ग़ैर  बना है

 

बेचैन हुआ  दिल  भी  पुकारे  ये तुम्हीं को

तुम पास न मेरे  तो  ये जीवन भी सजा है

 

बैरी ये  पहर रात की कटती भी नहीं अब

करवट में बदल रात पहर बस ये  बीता है

 

ये “ज्योति”की धड़कन भी धड़कती है तुम्हीं से

रग रग में सनम प्रीत का अहसास धुला है

– ज्योति श्रीवास्तव, नोएडा , उत्तर प्रदेश

Related posts

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

हिंदी ग़ज़ल – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

गीत – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

Leave a Comment