मनोरंजन

गीत – मधु शुक्ला

न कह पाये कभी हम जो वही बातें सतातीं हैं।

सुहानी चाँदनी रातें हृदय का दुख उठातीं हैं।

 

रखे जज्बात काबू में हमें परिवार था प्यारा।

मगर दृग दे गये धोखा इन्होंने प्रीत को धारा।

रही खामोश जिह्वा पर उन्हें आखें बुलातीं हैं……..।

सुहानीं चाँदनीं रातें हृदय का दुख उठातीं हैं…… ।

 

दिलों के मेल को दुनियाँ न जाने क्यों बुरा कहती।

जगत में गम जुदाई का मुहब्बत ही सदा सहती।

रहें बेबस सदा आँखें तभी आँसू बहातीं हैं…… ।

सुहानी चाँदनीं रातें हृदय का दुख उठातीं हैं…….. ।

 

सभी को चाह यदि अपनी जगत में प्राप्त हो जाये।

कला का कोष तब जग में अधिक विस्तारता पाये।

अधिकतर चाहतें मर कर वफा का बोझ पातीं हैं….. ।

सुहानी चाँदनी रातें हृदय का दुख उठातीं हैं….. ।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

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