एक जमाना गुजर गया
तुमसे मिले ही बगैर !
और सब कुछ बदल गया…..,
हो गए अपने ही गैर !!1!!
किससे कहें और क्या कहें
अब हो चुकी है यहां बहुत देर !
लोग मिलते नहीं और सुनते नहीं…..,
नहीं लेते हैं अब अपनों की खैर !!2!!
बदल चुका है ये युग
पर, हम नहीं तनिक बदले !
और जी रहें हैं वैसे ही……,
थे जैसे हम रहे अपने में पहले !!3!!
हैं ख़्यालात किस्से वही पुरानी कहानी
और वही रही हमारी दशा मनःस्थिति !
हैं बातें उसी दौर की घिसी पिटी पुरानी……,
और वही हाल वही हमारी परिस्थिति !!4!!
बदलें हैं लोग, बदला है ये जमाना
पर, हम रहे जस के तस से अड़े-अड़े !
आँधियाँ गुमां की चलीं हैं यहां ऐसी……,
कि, हम उखड़ गए जड़ समेत यूँ ही खड़े-खड़े !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान