पकी गइले धनवा सुना मोरे सजना कब कटनिया करबा ना,
खेतवा में लहकल बाड़े धनवा के बलिया कब कटनिया करबा ना।
भोरे भिनसरवा हम जाईब खरिहनिया हो,
सोनवा के बलिया धनवा काटब हम कटनिया हो,
सुना मोर धनिया लेके अईहा रोटी ओरी चटनिया हम कटनिया करबे ना।
गेंहुआ के काटी पिया बोझा तू बनइहा हो।
खरिहनवा ले जाईब बोझवा सिरवा उठाईहा हो ।
संगवा करब हमऊ कटनिया हमार पियवा,
कब कटनिया करबा ना।
धनवा के काटी पीटी चाउर बनईहा पिया।
घरवा के संगवा भोजन देशवा खिअईहा पिया।
भुखिया से मरे ना केवानों लोगवा परनिया हमार पियवा ।
कब करबा कटनिया हमार पियवा।
– श्याम कुंवर भारती, बोकारो, झारखंड मो.9955509286