खुसी होस् या पिडामा झर्ने आँसु एकै हुन् ! मात्र झर्ने प्रकृति र अनुभुति फरक हुन्छन् ?
सहन गाह्रो हुँदा व्यथा,आफैंसँग झर्कन्छ जिन्दगी,
जाँतोझैं घुमाउनै छ जीवन, कसै घस्रन्छ जिन्दगी,
प्राण यसै कहाँ जान्छ र बाँच्न कठिन भो भन्दैमा,
हरपल गर्दैछ युद्ध रोगसँग ,काल पर्खन्छ जिन्दगी ।
जीवन (हिंदी) –
खुशी हो या दर्द आँसू एक ही होते हैं ! क्या प्रकृति और भावनाएं अलग हैं?
जब दर्द सहन करना मुश्किल होता है तो जिंदगी खुद ही उतर जाती है।
ज़िन्दगी को जाति की तरह घुमाना है, कुछ ज़िन्दगी को रगड़ा जाएगा।
जीना मुश्किल होने से कहाँ जाती है जिंदगी
हर पल रोग से लड़ रहा हूँ, जिंदगी कल का इंतज़ार करती है।
– दुर्गा किरण तिवारी, पोखरा,काठमांडू , नेपाल