बने हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा स्वप्न यह अपना,
करें पूरा सभी मिल कर हमारा है यही कहना।
सहारा आंग्ल भाषा का हमें क्यों चाहिए सोचें,
गुलामी पूर्व हिन्दी में सफल होती रही रचना।
हजारों ग्रंथ हिन्दी के दिये हैं ज्ञान दुनियाँ को,
गुणों से युक्त हिन्दी तज भला क्यों गैर को तकना।
सदन में जब भरा खाद्यान्न तो फिर पेट खाली क्यों,
हमें तो चाहिए इस बात पर अति गर्व ही करना।
तजें हम स्वार्थ क्षेत्रियता तभी हो स्वप्न यह पूरा,
हमें संकल्प लेकर हेतु इसके साथ में चलना।
—- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश