नारी तू नारायणी
पूजी जाए घर-घर !
तू ही लक्ष्मी सरस्वती….,
बगैर तेरे सूना है घर !!1!!
तू है माँ अन्नपूर्णा
तू ही भगवती सावित्री !
तुझसे है घर की शोभा…..,
तू ही जीवनदायिनी !!2!!
तू है जीवन संगिनी
है तू आदि परमशक्ति !
तू ही जीवन की सविता…..,
है तू प्रेम करुणा भक्ति !!3!!
है तू माता बहना प्यारी
आए बेटी सलोनी बनकर !
बनी तू प्राण प्राणेश्वरी….,
रचे चले श्रृंगार सुंदर !!4!!
तू है देव माता गायत्री
पुनीत पावन गंगा माता !
तू ही दुःख-दर्द हरती….,
है तू ही पार्वती सीता !!5!!
तुझसे पाएं संबल प्राणी
और चलें रचाए यहां जीवन !
है तू सर्वलोक कल्याणी…..,
तुझसे हर्षाए है जीवन !!6!!
तू ही जीवन अधिष्ठात्री
है तू ही पूजनीय आद्या !
हे मातृ शक्ति तुझे नमन…..,
तू ही जीवन की विद्या !!7!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान