लगन हो लक्ष्य की जिसको, न सागर रोक पाता है,
बुलंदी पर हमेशा हौंसला, ही साथ जाता है।
न करतीं त्रस्त बाधाएं, अगर हो धैर्य से यारी।
जहाँ हो साधना श्रम की, वहीं दुनियाँ झुके सारी।
जिसे विश्वास हो खुद पर, विजय के गीत गाता है – – – -।
बुलंदी पर हमेशा हौंसला, ही साथ जाता है।
किसी को भी सरलता से, नहीं यश नाम मिलता है।
गहे जब पंक को हँस तब, कमल का पुष्प खिलता है।
जिसे हो चाह उन्नति की, वही जग को हँसाता है – – -।
बुलंदी पर हमेशा हौंसला, ही साथ जाता है।
मनुज जीवन बड़े सौभाग्य, से मिलता समझ लीजे।
मनुजता हेतु जीवन को, समर्पित आप कर दीजे।
हमारे कर्म पर हरदम, नजर रखता विधाता है – – -।
बुलंदी पर हमेशा हौंसला, ही साथ जाता है।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश