नभ मे उतरा यान हमारा,अब कितना मनभाया है,
आज शान से भारत ने,सबके मन को हरषाया है।
सुनते थे हम माँ की लोरी,करते थे मन मे बातें,
नभ के दक्षिण धुर्व पर जाकर अब झंडा फहराया है।
मन खुशी से मोर सा नाचे,उतरा चंद्रयान मेरा,
सबने चंदा देखा होगा, हमने गले लगाया है।
गाते थे हम गीत गजल भी,लिखते चाँद पर शायरी,
चार बरस से मेहनत की, फल मीठा अब खाया है।
इसरो की मेहनत थी सारी,हमने चंदा को जाना।
पूरी दुनिया देख रही है देशो मे मान बढाया है।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़