अनसुनी आवाज सुन लेती है,
मैं हूँ न, एक विश्वास देती है।
हँसती है, संग – संग रोती है,
मित्रता हर रिश्ते से ऊँची है।
प्यार- प्रेम हर भाव में ढ़लती है,
मित्रता हमसफ़र बन जाती है।
मित्रता में उसूलों का काम नहीं,
मित्रता बस मित्रता ही होती है।
बिन मांगा अधिकार यही है,
खो जाने का भय कभी नहीं है।
वक्त नहीं देखते मित्र बेवक्त है,
क्या हुआ यार प्रश्न मिलता यहीं है।
रोने के लिए एकांत होते है,
हंसने के लिए खिलखिलाहट होते है।
ये मित्र जीवन की रौनक होते है,
ये मित्र,टूटे हृदय की मरम्मत होते है।
– रश्मि मृदुलिका, देहरादून , उत्तराखंड