दोस्ती दिल से निभाया तो करो,
जाम लेकर अब पिलाया तो करो।
दूर से यूँ बेरूखी देते हो क्यो?
पास आकर दिल लगाया तो करो।
भीड़ में बैठे हुऐ क्यो आज हो,
प्यार से हमको बुलाया तो करो।
आज तन्हा सा हुआ मन है बहुत,
प्यार से हमको मनाया तो करो।
पास ही है जन्मदिन अब तो मेरा,
कुछ नया हमको दिलाया तो करो।
क्या छुपे हैं राज दिल मे कह भी दो,
राज दिल के अब बताया तो करो।
दर्द तुमको जो मिले तू भूल जा,
भूल सब बातों को आया तो करो।
– रीतागुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़