मनोरंजन

एक अलग पहचान – रश्मि शाक्य

जीवन पथ है बहुत कठिन पर,

संकल्पित जयगान लिखो तुम।

एक अलग पहचान लिखो तुम।।

 

यौवन का उत्कर्ष अनूठा

तन-मन  का संघर्ष अनूठा,

तर्क – कल्पना – प्रेम अलंकृत,

काम – भाव आकर्ष अनूठा,

 

प्रखर सूर्य के जैसा चमको

सद्चरित्र उत्थान लिखो तुम,

एक अलग पहचान लिखो तुम।।

 

इच्छाएं मन फुसलाएंगी,

बाधाएं भी  गहराएंगी,

कई -कई आभासी राहें,

सही राह को भरमाएंगी,

 

सदप्रेरक हो शक्ति तुम्हारी

स्वयं हेतु वरदान लिखो तुम।

एक अलग पहचान लिखो तुम।।

 

कर्मशीलता से लगाव हो

शील भाव औ’ वीर भाव हो,

तन  होवे  सम्राटों  जैसा

मन पर ऋषियों का प्रभाव हो,

 

जिसे देख गर्वित हो दुनिया

एक ऐसा दिनमान लिखो तुम।

एक अलग पहचान लिखो तुम।।

©रश्मि शाक्य, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश

Related posts

बलिहारी हमारे ज्योतिषियों की मुहूर्त दियो बताए (व्यंग्य) – राकेश अचल

newsadmin

महाराष्ट्र की राजनीति के केंद्र बिंदु बने उद्धव ठाकरे – मुकेश कबीर

newsadmin

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

Leave a Comment