(1)”दृ “, दृग दृष्टि हो यदि सकारात्मक
तो, असंभव कुछ भी है नहीं !
चलें जीवन में सोचते अच्छा……,
तो, होएं सदा अच्छे काम यहीं !!
(2)”ढ़ “, ढर्रा हो जीवन का ग़र सही
तो, मुश्किलें आसान बन जाएं !
बदलता चले फिर ये माहौल……,
और खुशियाँ दौड़ती चलीं आएं !!
(3)”नि “, निडर होकर आगे बढ़ते चलें
तो, सभी कार्य संभव हो जाएं !
आएं पथ में ग़र बाधाएं……,
तो, वे सभी निष्फ़ल बन जाएं !!
(4)”श् “,श्वास-श्वास में हो आशाएं भरी
और जीवन में रखें दूर दृष्टि !
कभी ना हारें और ना ही थकें……,
बनाए चलें सदा अच्छी मनोवृत्ति !!
(5)”च “, चयन करें जीवन में सुपथ को
और कभी नहीं होएं निराश !
बढ़ते चलें सदा नेकी पर….,
और रखें जीवन में सदा विश्वास !!
(6)”य “, यकीन करते चलें सदा स्वयं पर
और किसी के कहने पर ना चलें !
संभव होते चलेंगे सभी कार्य….,
बस, काम को कल पर ना टालें !!
(7)”दृढ़निश्चय “, पर निर्भर होते हैं कार्य
और यहां कुछ भी नहीं है असंभव !
बस सदा चलें सोचते सकारात्मक……,
तो, होते चलेंगे सभी कार्य संभव !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान