थे हिन्दू हृदय सम्राट शिवाजी शूर वीर और बलशाली ।
मुगल उगल गये कौर देख कर युद्ध कला गौरव वाली ।।
जीजा बाई माई का पदवंदन नित्य करते थे ये ।
मात पिता को देव मूर्ति थे साक्षात समझते ये ।।
मातभूमि की सेवा करना थे स्वधर्म समझते ये ।
नारी की महिमा है भारी मातु समान समझते ये ।।
केवल कर्म धर्म है मेरा न कोई भी बात जाए खाली ।
थे हिन्दू हृदय सम्राट शिवाजी शूर वीर और बलशाली ।१
केहरी जैसा शौर्य पराक्रम माँ की कृपा से पाया था ।
कीर्ति कविताई रच करके यश कवियों ने गाया था ।।
राज्य प्रशासन सुन्दर ऐसा वर्ण सभी को भाया था ।
फुर्ती सिंह सरीखी इनकी हिन्दू सम्राट कहाया था ।।
जगह जगह मंदिर बनवाये वह महावीर जो बलशाली ।।
थे हिन्दू हृदय सम्राट शिवाजी शूर वीर और बलशाली ।।२
– राजेश तिवारी मक्खन, झांसी उ प्र फोन +91 94511 31195