(1)” धरा “, धरा को फिर से बनाएं सुंदर
आओ पेड़ लगाएं यहां पर !
झूमें धरती और ये अंबर….,
बनाएं धरा को स्वर्ग यहां पर !!
(2)” बचाएं “, बचाएं धरा का पर्यावरण
और बचाएं जन जीवन को !
करते चलें जल का संरक्षण……,
और बचाएं अपने कल को !!
(3) ” पेड़ “, पेड़ हमारे लिए है ज़रूरी
बिन इनके कहां है जीवन !
है सूनी धरती इनके बग़ैर……,
और सूना है कानन उपवन !!
(4) ” लगाएं “, लगाएं घर आँगन में अपने
सुंदर पेड़ पौधे लताएं !
पंछी आएं करते कलरव…..,
और तन मन जीवन सब हर्षाएं !!
(5) ” धरा बचाएं, पेड़ लगाएं “,
बनाएं वसुंधरा को सुंदर !
पहनाए चलें धानी चुनरिया….,
चलें झूमते वन गिरी और सागर !!
(6) नित साँसें हो रही यहां कम
और जीवन सिमट रहा है पल-पल !
आओ लगाएं मिलकर पेड़……,
चलें खुशहाल बनाए अपना कल !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान