मनोरंजन

नभ के पंछी – सुनील गुप्ता

नभ के पंछी प्यारे न्यारे

हैं दूर सफर के सब राही   !

उड़ा करते हैं साँझ सवेरे…..,

तय करते मंज़िल मनचाही !!1!!

 

हैं राहें नहीं इनकी आसान

जोश है इनमें ख़ूब अपार  !

भरें हौंसलों की ये उड़ान……,

करते चलें आसमां को पार !!2!!

 

परवाज़ है इनकी गगनचुम्बी

हैं इनके इरादे पक्के फौलादी  !

डगर है इनकी ऊँची लंबी…..,

सागर पार बसाएं ये आबादी  !!3!!

 

करते सफर ये आगे बढ़ते

कहीं नहीं ये ठहरा करते  !

है इनकी तेज़ गति रफ़्तार……,

ये हवा संग बातें करते उड़ते !!4!!

 

उत्साह उमंग साहस से भरे

ये करते हैं दिन रात सफर   !

भरते चलें डग ऊँचे गहरे…..,

रखते हैं ये मंज़िल पे नज़र  !!5!!

 

है इनकी सोच बड़ी न्यारी

नेतृत्व क्षमताएं इनकी निराली  !

लयबद्ध है इनकी चाल प्यारी….,

मधुर है इनकी तान सुरीली  !!6!!

 

है जीवन इनका संघर्षमय

चलें उड़ते एक ताल लय  !

कभी ना छोड़ें, कल पे काम…..,

पक्के धुनके, है मंज़िल ध्येय !!7!!

 

गिरी पर्वत सागर पार करते

तय करते चलें ये जीवन सफर  !

उन्मुक्त होकर नभ के पंछी…..,

उड़ते गाएं गीत सुंदर मधुर !!8!!

 

हम भी बनें इन पंछी जैसे

उड़ें सदा उन्मुक्त जीवन में  !

मन फलक पे भरें परवाज़ ऊँची……,

करें साकार कल्पनाएं यहां रहते !!9!!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

Related posts

साहित्य अर्पण मंच पर काव्य गोष्ठी

newsadmin

“जल संचयन” पर जागरूकता अभियान के तहत “नुक्कड़ नाटक” का किया आयोजन

newsadmin

परमात्मा से परमात्मा को मांगे – सरदार मनजीत सिंह

newsadmin

Leave a Comment