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गीत – जसवीर सिंह हलधर

माँ मुझे कोख में मत मारो ,मुझको भी धरती पर आना !

यदि ठुकरायी  मेरी पुकार , जीवन भर होगा पछताना !!

 

उस भ्रूण परीक्षण कक्ष में माँ,तूने जो जाँच करायी है !

रूखे मन से ये बड़ी बात , जो पापा को बतलायी है !!

पापा तो है भोले भाले , तेरे मन में कुछ काला है !

तू ही बेटे के चक्कर में ,मुझको लगता पगलायी है !!

मुझे ईश्वर का प्रसाद मान, अपनी गोदी में आने दे !

जिसके दर बेटे की खातिर, तेरा अक्सर आना जाना !!1!!

 

उनसे भी तो जाके पूंछों ,जिनके कोई संतान नहीं !

सूनी सी कोख तरसती है ,आया कोई महमान नहीं !!

बच्चे की खातिर दुनिया में ,फिरते हैं जो मारे मारे !

ऐसे भी तो बेचारे हैं ,मिलता कन्या का दान नहीं !!

मैं तो एक अमर आत्मा हूं,जा जन्म कहीं भी लेलूँ गी ।

इस महापाप से जीवन भर ,तेरा मन होगा वीराना !!2!!

 

जीजी से कभी न झगडूंगी, रूखा सूखा ही खा लूँगी !

जीजी के छोटे कपड़ों से, मैं अपना काम चला लूँगी !!

झाड़ू ,पोछा ,बर्तन में कुछ , तेरा भी हाथ बटाऊँगी !

शीतलता चंदा से लेकर ,सूरज से ताकत पा लूँगी !!

पढने को यदि ना भेजेगी, इससे तो मरना बेहतर है !

अनपढ़ होने से बेहतर है ,खिलने से पहले मुरझाना !!3!!

 

सरहद पर लड़ने जाऊँगी , मंगल पर यान उड़ाऊंगी !

मैं मालिक, बबीता, चानू बन,भारत का मान बढ़ाऊंगी !!

बस मेरे शिक्षित होने तक ,कुछ घड़ियाँ कठिन बिता ले माँ ,

तेरे   सारे   टूटे   सपने , मैं  ही  परवान  चढ़ाऊंगी !!

तू मेरे रथ को मत रोके , नैसर्गिक पथ को मत रोके !

हलधर ” देखा देखी दुनिया, सीखेगी बेटी अपनाना !!4!!

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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