माँ मुझे कोख में मत मारो ,मुझको भी धरती पर आना !
यदि ठुकरायी मेरी पुकार , जीवन भर होगा पछताना !!
उस भ्रूण परीक्षण कक्ष में माँ,तूने जो जाँच करायी है !
रूखे मन से ये बड़ी बात , जो पापा को बतलायी है !!
पापा तो है भोले भाले , तेरे मन में कुछ काला है !
तू ही बेटे के चक्कर में ,मुझको लगता पगलायी है !!
मुझे ईश्वर का प्रसाद मान, अपनी गोदी में आने दे !
जिसके दर बेटे की खातिर, तेरा अक्सर आना जाना !!1!!
उनसे भी तो जाके पूंछों ,जिनके कोई संतान नहीं !
सूनी सी कोख तरसती है ,आया कोई महमान नहीं !!
बच्चे की खातिर दुनिया में ,फिरते हैं जो मारे मारे !
ऐसे भी तो बेचारे हैं ,मिलता कन्या का दान नहीं !!
मैं तो एक अमर आत्मा हूं,जा जन्म कहीं भी लेलूँ गी ।
इस महापाप से जीवन भर ,तेरा मन होगा वीराना !!2!!
जीजी से कभी न झगडूंगी, रूखा सूखा ही खा लूँगी !
जीजी के छोटे कपड़ों से, मैं अपना काम चला लूँगी !!
झाड़ू ,पोछा ,बर्तन में कुछ , तेरा भी हाथ बटाऊँगी !
शीतलता चंदा से लेकर ,सूरज से ताकत पा लूँगी !!
पढने को यदि ना भेजेगी, इससे तो मरना बेहतर है !
अनपढ़ होने से बेहतर है ,खिलने से पहले मुरझाना !!3!!
सरहद पर लड़ने जाऊँगी , मंगल पर यान उड़ाऊंगी !
मैं मालिक, बबीता, चानू बन,भारत का मान बढ़ाऊंगी !!
बस मेरे शिक्षित होने तक ,कुछ घड़ियाँ कठिन बिता ले माँ ,
तेरे सारे टूटे सपने , मैं ही परवान चढ़ाऊंगी !!
तू मेरे रथ को मत रोके , नैसर्गिक पथ को मत रोके !
हलधर ” देखा देखी दुनिया, सीखेगी बेटी अपनाना !!4!!
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून