उत्तराखण्ड

नमामि गंगे परियोजना में जोहकासौ तकनीक से गंगा नदी को साफ किया जाएगा

देहरादून, 20 जुलाई 2023: भारत सरकार की ओर से पवित्र नदी गंगा को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे परियोजना की शुरुआत की गई है। प्रोजेक्ट के तहत जोहकासौ तकनीक से गंगा नदी को साफ किया जाएगा। इस प्रक्रिया में विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार समाधानों की अग्रणी प्रदाता डाइकी एक्सिस अपना योगदान देगी।

डाइकी एक्सिस द्वारा विकसित अपशिष्ट जल उपचार प्रणाली जोहकासौ को पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए पानी की गुणवत्ता के उच्चतम मानकों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जापान के पर्यावरण मंत्रालय ने नमामि गंगे परियोजना के हिस्से के रूप में प्रभावी अपशिष्ट जल उपचार और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के साथ एक सहयोग ज्ञापन (एमओसी) पर हस्ताक्षर किए हैं।

नमामि गंगे कार्यक्रम ने हाल ही में सर्वश्रेष्ठ जल बहाली परियोजनाओं में से एक के रूप में वैश्विक मान्यता हासिल की है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित एक प्रतिष्ठित कार्यक्रम के दौरान पवित्र नदी गंगा को उसकी प्राचीन स्थिति में बहाल करने के उल्लेखनीय प्रयासों के लिए एक विशिष्ट पुरस्कार भी मिला है।

भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक जी अशोक कुमार ने कहा कि भारतीय संदर्भ में गंगा का एक विशेष स्थान है क्योंकि यह एक पवित्र और प्राचीन नदी है। 43% आबादी और भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 23% हिस्सा गंगा नदी और उसके तटों पर मौजूद है। शहरीकरण के कारण इसके पारिस्थितिकी तंत्र को काफी नुकसान हुआ है, ऐसे में गंगा नदी की निर्मलता और अविरलता को बनाए रखने के लिए एक मजबूत योजना का होना जरुरी है। इसके अलावा इसका उद्देश्य न केवल गंगा के प्राचीन गौरव को बहाल करना है बल्कि स्थानीय आबादी को अपने पारंपरिक ज्ञान से जुड़ने में मदद करना भी है। क्षेत्र में नवीनतम प्रगति का उपयोग करके हम सतत विकास की दिशा में एक रास्ता बना रहे हैं जो स्वच्छ और हरित भविष्य की हमारी सांझा दृष्टि के अनुरूप है।

2023-24 में कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों को कवर करते हुए चार अलग-अलग स्थानों पर कुल नौ परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं जो वर्तमान में नदियों में छोड़े जा रहे अनुपचारित घरेलू अपशिष्ट जल का उपचार करेगी। उपचारित पानी नदियों में सीवेज-उपचारित पानी के निर्वहन के लिए सीपीसीबी मानकों और नवीनतम एनजीटी दिशा-निर्देशों को पूरा करेगा। प्रत्येक परियोजना विविध अपशिष्ट जल उपचार आवश्यकताओं को पूरा करते हु्ए डाइकी एक्सिस की जोहकासौ तकनीक की के प्रभावशीलता प्रमाण के रूप में काम करेगी। सभी उत्पाद मेक इन इंडिया के तहत स्थानीय स्तर पर निर्मित होते हैं। डाइकी एक्सिस इंडिया उन्नत जोहकासौ एसटीपी की आपूर्ति और कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी प्रदाता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ये परियोजनाएं अत्याधुनिक जोहकासौ प्रौद्योगिकी और अपशिष्ट जल के विकेन्द्रीकृत उपचार की अवधारणा को प्रदर्शित करेंगी जो भारत में विशेष रूप से छोटे शहरों और कस्बों में समय की मांग है।

उत्तराखंड सरकार की ओर से परियोजना के मुख्य मालिक के रूप में उत्तराखंड पेयजल निगम इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन और संचालन की देखरेख करेगा। आईआईटी रूड़की वर्तमान में अपनाए जा रहे भारतीय मानकों और सर्वोत्तम इंजीनियरिंग प्रथाओं के लिए डिजाइन के अनुपालन का मूल्यांकन करेगा। ऐसी परियोजनाएं स्वच्छ और स्वस्थ जल संसाधनों के सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डाइकी एक्सिस इंडिया और स्थानीय सरकारी निकाय के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को उजागर करती हैं।

डाइकी एक्सिस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ कमल तिवारी ने कहा, “पारंपरिक केंद्रीकृत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रणालियों में बदलाव को उजागर करके हम एक दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाते हैं। विकेंद्रीकृत प्रणालियों पर ध्यान देने के साथ हम कई फायदे हासिल करते हैं, जिनमें कम लागत, सरलीकृत कार्यान्वयन और भूमि स्थान और विवादों से जुड़ी जटिलताओं को कम करना शामिल है। उन्होंने आगे कहा, “यह पहचानना आवश्यक है कि विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल प्रबंधन जल उपचार के लिए एक प्रगतिशील और टिकाऊ दृष्टिकोण प्रदान करता है। पानी का उसके स्रोत पर कुशलतापूर्वक और जिम्मेदारी से उपचार करके हम एक उज्जवल और अधिक लचीले भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं।”

जोहकासौ प्रौद्योगिकी पहाड़ी क्षेत्रों में अपशिष्ट जल उपचार के लिए प्रमुख समाधान के रूप में उभरेगी। जोहकासौ टेक्नोलॉजी पुरानी पारंपरिक प्रणालियों जैसे सेप्टिक टैंक और सोक पिट आदि को बदलने का अवसर प्रदान करती है जिन्हें जोशीमठ आपदा के पीछे प्रमुख कारणों में से एक और डाउनस्ट्रीम पेयजल स्रोतों के प्रदूषण के स्रोत के रूप में पहचाना गया था। जोहकासौ टेक्नोलॉजी में यह परिवर्तन अपशिष्ट जल उपचार दक्षता और पर्यावरणीय प्रभाव में एक महत्वपूर्ण सुधार का प्रतीक है।

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