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अन्नदाता किसान – अशोक यादव

मोर छत्तीसगढ़ के किसान।

तैंय आवच भारत के शान।।

 

एक हाथ म नागर धरे हच,

दूसर हाथ म धरे हच तुतारी।

बईला चलत हे आगु-आगु,

खेत ह आवय तोर महतारी।।

सबले हवच अन्नदाता महान।

मोर छत्तीसगढ़ के किसान।।

 

घाम-पियास म बूता करके,

गारके पछिना अन्न उपजाथच।

खूद भूखे पेट लाघन रहिके,

पेट भर जन-जन ल खवाथच।।

तोला कहिथें बिसनु भगवान।

मोर छत्तीसगढ़ के किसान।।

 

पीरा म कलहरत आँसू बोहात हे,

कोनों नईये तोर काँटा निकलईया।

अपन-अपन सब रोटी सेंकत हें,

खादी ह सुध नई लेवत हे भईया।।

देश के खातिर होगे कुर्बान।

मोर छत्तीसगढ़ के किसान।।

– अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़

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