देश लूटकर भाग न जायें , नकली नंबरदार वतन के ।
जागो कलम सिपाही जागो ,सच्चे पहरेदार वतन के ।।
धूप चढ़े सोकर उठते हैं ,वैसे भी वो बड़े लोग हैं ।
मंचों पर सुंदर दिखते है ,मन में उनके कुष्ठ रोग हैं ।
चारा ,ईंधन ,चीनी खायी ,देता है इतिहास गवाही ,
गाँधी औ जे पी के पीछे ,बने रहे हकदार वतन के ।
जागो कलम सिपाही जागो ,सच्चे पहरेदार वतन के ।।1
धरे हाथ पर हाथ न बैठो ,कविता को हथियार बना लो ।
लोक तंत्र के रक्षण हेतू ,छंदों पर अब धार लगा लो ।
सत्य तथ्य जन जन तक लाओ ,सोया वातावरण जगाओ ,
संसद में आकर ना बैठें , झूठे चौकी दार वतन के ।
जागो कलम सिपाही जागो ,सच्चे पहरेदार वतन के ।।2
माना कल तक हम सोये थे ,लेकिन अब तो जाग रहे हैं ।
अंदर हो या बाहर दुश्मन , सीधे गोली दाग रहे हैं ।
घोटाला जिनका है धंधा ,लोक तंत्र को मानें अंधा ,
आतंकी को नायक कहते ,पुस्तक में गद्दार वतन के ।
जागो कलम सिपाही जागो ,सच्चे पहरेदार वतन के ।।3
जिसके हाथों में छाले हो ,वो ही माली हों उपवन का ।
पैरों के छालों में जिसके ,लेखा जोखा हो जन गण का ।
जिसका स्वेद महक फैलाये ,वाणी में हो वेद ऋचायें ,
हलधर “दिल्ली मांग रही है ,सच्चे जन सरदार वतन के ।
जागो कलाम सिपाही जागो ,सच्चे पहरेदार वतन के ।।
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून