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कविता – रोहित आनन्द

तुम्हारे पिता की यह जमीन नही,

यह बात तुम्हें हम ज्ञात करवाएंगे।।

तुम नजरअंदाज करो इसको,

हम फिर से लौट आएंगे।।

 

प्रकृति के दीवाने हैं हम,

यह बात तुमको हम रटवाएंगे।।

चाहे कुछ भी हो,

हम पेड़ नहीं काटने देंगे।।

 

ऑक्सीजन का दाम तुम,

नागपुरिया को क्या बताओगे?।।

एक झलक भी जिनकी न देख सके,

क्या चेहरा उन्हें दिखाओगे।।

 

जिस कुर्सी पर है राज तुम्हारा,

इस कुर्सी को हम पलटा देंगे।।

चाहे कुछ भी हो,

हम पेड़ हरगिज़ नहीं काटने देंगे।।

 

गोद में जिसकी बैठे हैं,

उसकी इज्जत नहीं जाने देंगे।।

दीवाने इस हरियाली के,

हर समय पर दीवानगी निभाएंगे।।

 

आ जाए निकट जो हमारे,

वो जिस्म नहीं छोड़ेंगे।।

चाहे कुछ भी हो,

हम हरगिज पेड़ नहीं काटने देंगे।।

– रोहित आनंद, मेहरपुर, बांका, बिहार

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