उत्तराखण्ड

महिला काव्य मंच के तत्वावधान में मासिक काव्य गोष्ठी

neerajtimes.com देहरादून – महिला काव्य मंच (मन से मंच तक) जिला इकाई देहरादून के तत्वावधान में मासिक काव्य गोष्ठी जमीनी तौर पर कुसुम पंत (सचिव मकाम ) के निवास स्थान पर आयोजित हुई। स्वतंत्र विषय पर आयोजित काव्य गोष्ठी में सभी प्रबुद्धजनों की गरिमामय उपस्थिति रही।

आज की गोष्ठी की मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री आदरणीया डॉ. नीलम प्रभा वर्मा रहीं। विशिष्ट अतिथि महिला काव्य मंच की प्रांतीय अध्यक्ष डॉ.विद्या सिंह रहीं व अध्यक्षता  कुसुम पंत  द्वारा की गई।

इस अवसर पर मकाम’ की  जिला अध्यक्ष  प्रो. उषा झा ‘रेणू’  व आदरणीया निशा गुप्ता  (प्रांतीय उपाध्यक्ष) की भी  उपस्थिति रहीं। गोष्ठी का संचालन ‘महिला काव्य मंच की महासचिव श्रीमती नीरू गुप्ता “मोहिनी” द्वारा किया गया।

भारतीय परम्परानुसार मुख्य अतिथि  द्वारा सर्वप्रथम माँ शारदे के श्री चरणों में दीप प्रज्ज्वलित कर गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। शोभा पराशर ने सुंदर वाणी वंदना की। तत्पश्चात काव्य पाठ की साहित्यिक धारा में सभी ने अपनी सुंदर-सुंदर प्रस्तुति से मंच को शोभायमान किया।

जिसमें सबसे पहले झरना माथुर की खूबसूरत रचना “कुछ कहें हम आप भी कुछ बोलिये” ने मन मोह लिया l शशि देवली जी की “उम्र चालीस.. बहुत दिनों बाद उन्होंने करीब से देखा ” मानो दुनिया की प्रत्येक स्त्री के भाव को उकेर दिया हो हास्य से परिपूर्ण  रही।

वरिष्ठ कवियत्री डॉ नीलम प्रभा वर्मा  के गीत “उगता सूरज.. कभी तो सूरज उगेगा मेरे मन के आँगन में “स्वर बद्ध गीत से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया l डॉ ज्योति श्रीवास्तव की रचना ,मृत्यु की गंध “तेरे साए में जिंदगी की उलझन है”  जीवन के शाश्वत सत्य मृत्यु के दर्द को बहुत ही बारीकी से अपनी रचना में चित्रित किया l

गार्गी मिश्रा की “बिस्तर जमीं का भी बना लेती हूँ मै ” बहुत सुंदर प्रेम का सन्देश देती रचना सुनाई।

शोभा पराशर  की रचना “साल पचपन के आते ही बुढ़ापा साथ लाता है l सभी के दिल को भायी l अर्चना झा  ने छंदसिक सुन्दर रचना ” “जीवन की आपाधापी में लुटे कई बसंत सखे” सुना सभी का मन मोह लिया l

कुसुम पंत उत्साही की रचना समाज के तीसरे वर्ग को समर्पित थी। “किन्नर का दर्द. किन्नर होना पाप नहीं है “पंक्तियों ने सभी की आँखों को नम कर दिया ।

विजय  वंदिता ने..मन की हर तहरीर पढ़ो तो जानूँ मैं, इन आँखों की  पीर पढ़ो तो जानूँ मैं” हृदयस्पर्शी  रचना सुना सबको भावुक कर दिया।

निशा अतुल्य  की रचना “किसको किसकी कितनी जरूरत.. एक कप चाय मिलेगी ” एक नारी की कर्तव्य निष्ठा को बयाँ करती रचना सबको खूब भायी l

प्रो उषा झा ‘रेणू’  की पलायन पर रचना “अब  बंद पड़े हैं गेह गाँव के” सुना सभी की तालियाँ बटोरी।

डॉ. विद्या सिंह की रचना नारी को समर्पित रही जिसके शब्द थे,”चाह नहीं सीता बनने की, नहीं द्रोपदी का अभिमान” l अंत में नीरू गुप्ता ‘मोहिनी ‘ ने ‘वारुणि’ विषय पर दिग्पाल छंद में सुंदर रचना “है हाल क्या जहां का, आओ तुम्हें सुनाएं, पीड़ा बड़ी ह्रदय में, कैसे तुम्हें बताएं ।” सुना रचना द्वारा आज के युवाओं को नशे से मुक्त कराने का सार्थक संदेश समाज को दिया। जिसकी  सभी ने खूब प्रशंसा की।

इस गोष्ठी की खास बात यह थी कि हमारे बीच आदरणीया ऋतु गोयल  श्रोता के रूप  में उपस्थित रहीं और उन्होंने बहुत प्यारा कान्हा का भजन सुनाया “मुख से पर्दा हटा मुरली वाले” । इस भजन पर उन्होंने कृष्ण मय होकर नृत्य भी किया l

वरिष्ठ  साहित्यकार और मुख्य अतिथि डॉ. नीलम प्रभा वर्मा द्वारा असीम स्नेह व आशीर्वचन संग सभी कवयित्रियों को उत्कृष्ट काव्यपाठ हेतु शुभकामनाएं प्राप्त हुईं। अंत में कुसुम पंत के अध्यक्षीय उद्बोधन  के साथ गोष्ठी को पूर्णता प्रदान की गई।

– नीरू गुप्ता ‘मोहिनी’, महासचिव, मकाम, देहरादून

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