तू संस्कार की सोम सुधा, कर्तव्यों की अंगूरी है ।
अब प्यार जता या ताने दे ,दोनों का साथ ज़रूरी है ।।
मैं कर्म योग का साधक हूँ , कविता मेरी पहचान बनी ।
पग पग पे साथ निभाया है , तू ईश्वर का वरदान बनी ।
आधारहीन हूं तेरे बिन , अस्तित्व नहीं कुछ भी मेरा ,
तेरे कारण ही महक रहा , तू ही मेरी कस्तूरी है ।।
अब प्यार जता या ताने दे ,दोनों का साथ ज़रूरी है ।।1
सुख चैन साथ में जीया है , दुःख बांट लिया आधा आधा ।
बे वक्त उठे तूफानों को ,दोनों ने ही मिलकर साधा ।
मैं शब्दों का सौदागर हूं , तू भावों की फुलवारी है ,
कर्तव्य निभाए दोनों ने , मान इसे मजबूरी है ।।
अब प्यार जता या ताने दे ,दोनों का साथ ज़रूरी है ।।2
पिछले जन्मों के कर्मों का, लेखा जोखा सब घटना ।
रेती पर लिखे नाम जैसा ,इस जीवन को भी मिटना है ।
अपराध किए होंगे जो भी,वो सजा भोगकर जानी है ,
ध्रुव तारा मुझको बनने में ,बाकी थोड़ी सी दूरी है ।।
अब प्यार जता या ताने दे , दोनों का साथ ज़रूरी है ।।3
बेटा पति पिता भ्रात वाले ,किरदार निभाए हैं सविनय ।
थोड़ा सा जीवन शेष बचा ,हो चुका पूर्ण मेरा अभिनय ।
कब मौत सहेली आयेगी , हमको एकल कर जायेगी ,
लेकिन तेरे बिन दुनिया में ,”हलधर” तस्वीर अधूरी है ।।
अब प्यार जता ताने दे , दोनों का साथ ज़रूरी है ।।4
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून