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ग़ज़ल – झरना माथुर

पास बैठे हो तो कुछ बात  भी कीजिये,

हाले-दिल अपना आज कह भी दीजिये।

 

कल चले जाएंगे हम सनम फिर ढूंढ़ना,

राजे-दिल अपना हमें बता ही दीजिये।

 

कुछ कहे हम आपसे कुछ आप बोलो,

या फिर इशारा आंख से कर भी दीजिये।

 

अजनबी कहां है हम ये वहम आपका ,

रेत पे लिख कर पता बता ही दीजिये।

 

वक्त कब ठहरा ये तो निकल जायेगा,

हाथ अपना हाथ पे मेरे रख भी दीजिये।

 

गर आंख गीली है इन्हे छुपाते क्यूँ हो ,

गम भुलाके झरना मुस्कुरा ही दीजिये।

झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड

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