पिता ही हमारी अंगुली पकड़कर
ले चलते हैं जीवन सफर पर !
सदा सिखलाएं बधाओं से लड़ना….,
और नहीं घबराना यहां पर रहकर !!1!!
पिता हैं हमारी शक्ति का आधार
और हमारी आशाओं का संबल !
बिन उनके यहां चलना मुश्किल……,
वह चलें सुझाते हर राह सफल !!2!!
पिता ही सुझाएं जीवन मंज़िल
और बतलाएं पाने के तरीके !
मिलती रहें पिता की दुआएं…….,
जब हों उनकी आशीष हमपे !!3!!
पिता ही हमारी सच्ची पूंजी
बिन उनके है ये दुनिया अधूरी !
हैं हर बाधाओं की वह कुंजी……,
जीवन दशा और दिशाओं की धूरी !!4!!
पिता ही हमारे मित्र हितैषी
सदा चाहते हमारी उत्तरोत्तर उन्नति !
कभी ना उनका दिल दुःखाएं…..,
वह चाहते हैं हमारी सदा प्रगति !!5!!
पिता हैं हमारे भविष्य निर्माता
और जीवन के मार्गदर्शक सच्चे !
चलें सदा उनके सुझाए पथ पर…..,
और करें आज्ञा शिरोधार्य सिरपे !!6!!
पिता ही हमारी पहली पहचान
और हैं हमारे जीवन की शान !
बिन उनके है सूना जीवन……,
और जीवन में नहीं कोई मान !!7!!
पिता ही हमारा है सरमाया
हर कदम पर पिता ने साथ निभाया !
है पिता से ऊंचा नहीं आसमां…..,
जीवन का असली पाठ पढ़ाया !!8!!
पिता के ऋण से उऋण होना
तो, चलना होगा नक़्श-ए-क़दम पर !
सदा बढ़ाते यहां पिता की शान …….,
करना होगा पग-पग पे नाम अमर !!9!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान