मनोरंजन

पिता – सुनील गुप्ता

पिता ही हमारी अंगुली पकड़कर

ले चलते हैं जीवन सफर पर   !

सदा सिखलाएं बधाओं से लड़ना….,

और नहीं घबराना यहां पर रहकर  !!1!!

 

पिता हैं हमारी शक्ति का आधार

और हमारी आशाओं का संबल  !

बिन उनके यहां चलना मुश्किल……,

वह चलें सुझाते हर राह सफल  !!2!!

 

पिता ही सुझाएं जीवन मंज़िल

और बतलाएं पाने के तरीके  !

मिलती रहें पिता की दुआएं…….,

जब हों उनकी आशीष हमपे !!3!!

 

पिता ही हमारी सच्ची पूंजी

बिन उनके है ये दुनिया अधूरी  !

हैं हर बाधाओं की वह कुंजी……,

जीवन दशा और दिशाओं की धूरी !!4!!

 

पिता ही हमारे मित्र हितैषी

सदा चाहते हमारी उत्तरोत्तर उन्नति  !

कभी ना उनका दिल दुःखाएं…..,

वह चाहते हैं हमारी सदा प्रगति !!5!!

 

पिता हैं हमारे भविष्य निर्माता

और जीवन के मार्गदर्शक सच्चे  !

चलें सदा उनके सुझाए पथ पर…..,

और करें आज्ञा शिरोधार्य सिरपे !!6!!

 

पिता ही हमारी पहली पहचान

और हैं हमारे जीवन की शान  !

बिन उनके है सूना जीवन……,

और जीवन में नहीं कोई मान  !!7!!

 

पिता ही हमारा है सरमाया

हर कदम पर पिता ने साथ निभाया  !

है पिता से ऊंचा नहीं आसमां…..,

जीवन का असली पाठ पढ़ाया  !!8!!

 

पिता के ऋण से उऋण होना

तो, चलना होगा नक़्श-ए-क़दम पर  !

सदा बढ़ाते यहां पिता की शान …….,

करना होगा पग-पग पे नाम अमर !!9!!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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