हम बोझ ना बन जाएं कभी
अपने जीवन में यहां किसी पे !
ये ध्यान रहे कि कोई हमसे……,
हो ना परेशां संग यहां पे रहते !!1!!
हैं रिश्ते नाते मतलब के सभी
टिके हैं स्वार्थ की बुनियाद पे !
है हमसे जब तक काम किसी का……..,
तब तक ही रिश्ते यहां पे टिकते !!2!!
लगे शाख पर ये हरे भरे पत्ते
हैं टिके सभी अपने ही दम पर !
पड़ते ही ये यहां पर पीले…..,
टूट गिरेंगे आ फिर इस जमीं पर !!3!!
खुद के वज़ूद को ख़ुद ही यहां
चलें सदा स्वयं ही तलाशते !
गिरते हुए को देता है कौन सहारा…..,
खड़ा करना होता, स्वयं को स्वयं से !!4!!
सहती नहीं हैं यहां शाखें कभी
अपने सूखे पड़े पीले पत्तों को !
समय आने पे सबको हैं गिरा देती….,
उम्र भर ढोती नहीं है इस बोझ को !!5!!
समय रहते होगा हमें यहां संभलना
वरना जीवन में आगे पछताएंगे !
क्यों किसी पर हम यहां बोझ बनें……,
स्वयं को पहले से तैयार कर लेंवे !!6!!
है कुदरत का यही शाश्वत नियम
कि, बोझ किसी का स्वीकार नहीं !
फिर हम क्यूं नहीं इसे समझें मानें……,
बस, चलें करते सम्मान नियति का यहीं !!7!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान